Khabarnama Desk : विधानसभा में बुधवार को एक असहज स्थिति उत्पन्न हो गई जब सत्ता पक्ष के विधायकों ने सरकार से कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उन्हें दंडित करने की मांग की। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने मामले की गंभीरता पर जोर देते हुए धरना देने की धमकी दी। उनका कहना था कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के तहत स्वर्णरेखा परियोजना के कार्य प्रमंडल में कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर ने अवैध खाता खोलकर करोड़ों रुपए की फर्जी निकासी की है।
प्रदीप यादव ने प्रश्नकाल में कहा कि वित्त विभाग ने जांच में चंद्रशेखर समेत कई अधिकारियों को दोषी पाया है, लेकिन केवल अपर डिविजन क्लर्क संतोष कुमार के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जो कि लीपा-पोती का मामला है। उन्होंने सरकार से तत्काल एफआईआर दर्ज करने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह धरना पर बैठेंगे।
इस बीच, प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने जांच कर कार्यपालक अभियंता के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिया। अंततः स्पीकर के हस्तक्षेप पर प्रदीप यादव ने एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई का आश्वासन मिलने पर सहमति जताई।
एसीबी के तीन काम रामेश्वर उरांव
रामेश्वर उरांव ने कहा कि बिहार के समय जब एक मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा था कि एसीबी का क्या काम है, उन्होंने बताया था एसीबी के तीन काम। किसी को फंसा दो, किसी को धंसा दो और किसी को उबार दो। उरांव ने कहा कि प्रभावशाली लोगों के केस को धंसा दिया जाता है। लेकिन यहां पर कार्यपालक अभियंता के विरुद्ध कार्रवाई होनी ही चाहिए ।
विभाग का नीयत ठीक नहींः हेमलाल मुर्मू
झामुमो विधायक हेमलाल मुर्मू ने कहा कि इस मामले में केवल संतोष ही दोषी नहीं है। नीयत बता रहा है की विभागीय कार्यवाही के माध्यम से कार्यपालक अभियंता को दोष मुक्त करार दिया जाए। अगर कार्रवाई होती है तो सरकार की ही छवि बनेगी।