Khabarnama Desk: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। यह मामला 2022 का है, जब दोनों सांसदों पर आरोप था कि उन्होंने देवघर हवाई अड्डे से सूर्यास्त के बाद विमान उड़ान भरने की अनुमति पाने के लिए हवाई यातायात नियंत्रण अधिकारियों पर दबाव डाला था।
2022 में, जब दोनों सांसद देवघर हवाई अड्डे से विमान में यात्रा कर रहे थे, तो उन पर आरोप लगा कि उन्होंने हवाई यातायात नियंत्रक (ATC) पर दबाव डाला था ताकि उनका विमान सूर्यास्त के बाद भी उड़ान भर सके। भारतीय विमानन नियमों के अनुसार सूर्यास्त के बाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने की अनुमति सामान्यत: नहीं दी जाती, लेकिन आरोप था कि दोनों सांसदों ने इसे मंजूरी दिलवाने के लिए अधिकारियों पर दबाव डाला।
इस आरोप के बाद झारखंड पुलिस ने इन सांसदों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी। हालांकि, मामला अदालत में गया, और झारखंड हाईकोर्ट ने इन सांसदों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया। कोर्ट ने माना कि इस मामले में किसी प्रकार का आपराधिक मामला नहीं बनता है।
झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार ने यह दलील दी कि सांसदों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि यह एक गंभीर आरोप है और इस पर निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। सरकार ने याचिका में कहा कि हाईकोर्ट का आदेश गलत था, क्योंकि यह मामला सार्वजनिक सुरक्षा और विमानन सुरक्षा से जुड़ा हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि हाईकोर्ट का आदेश सही था और उसे बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई नई टिप्पणी नहीं की, बल्कि पहले से दिए गए आदेश को माना।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बीजेपी नेताओं के लिए एक बड़ा संरक्षण है। कच्छप ने आरोप लगाया कि बीजेपी के नेताओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है, चाहे उनके खिलाफ कोई भी गंभीर आरोप क्यों न हो। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि राज्य सरकार ने यह याचिका दायर की थी।
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