झारखंड सरकार ने जारी किए सरकारी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया दिशा-निर्देश, जानें क्या है पाबंदियां

Sneha Kumari

रांची : झारखंड सरकार ने राज्य के सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया उपयोग संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कार्मिक विभाग के प्रधान सचिव प्रवीण टोप्पो द्वारा हस्ताक्षरित इस गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि व्हाट्सएप, एक्स (ट्विटर), इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कर्मचारियों की गतिविधियां झारखंड सरकारी सेवक आचरण नियम, 2001 के अनुरूप होनी चाहिए।

क्या करें, क्या न करें

– राजनीतिक गतिविधियों में न लें भाग: सरकारी कर्मी किसी भी राजनीतिक विचारधारा, पार्टी या धर्मनिरपेक्षता विरोधी आंदोलन का समर्थन नहीं कर सकते। उनके पोस्ट, ट्वीट या प्रोफाइल पिक्चर पर राजनीतिक प्रतीक नहीं होने चाहिए।
– संवेदनशील जानकारी साझा करने पर रोक: कार्यालयीन गोपनीय या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सूचनाएं सोशल मीडिया पर प्रकाशित नहीं की जा सकतीं।
– अभद्र भाषा और घृणा फैलाने वाली सामग्री से परहेज: किसी भी जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के खिलाफ भेदभावपूर्ण टिप्पणी, अश्लील या धमकी भरे पोस्ट पर प्रतिबंध लगाया गया है।
– कार्यसमय में व्यक्तिगत अकाउंट का सीमित उपयोग: ऑफिस के दौरान कोचिंग, वेबिनार या लेक्चर में शामिल होने के लिए अनुमति आवश्यक है।
– आर्थिक लाभ की सूचना देना अनिवार्य: यदि सोशल मीडिया के माध्यम से कोई आय होती है, तो उसकी जानकारी विभाग को देनी होगी।

उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

गाइडलाइन के अनुसार, नियमों का उल्लंघन करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच और विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी। इसमें निलंबन या सेवा समाप्ति तक के प्रावधान शामिल हैं।

क्यों जरूरी हुआ यह निर्देश?

प्रवीण टोप्पो ने बताया कि पिछले कुछ समय में सरकारी कर्मचारियों द्वारा सोशल मीडिया पर अनुचित सामग्री साझा करने के कई मामले सामने आए थे, जिससे सरकारी मर्यादा प्रभावित हुई। इसके अलावा, गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने और न्यायालयीन आदेशों की अवमानना जैसे मुद्दों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

समिति की सिफारिश पर हुआ लागू

यह दिशा-निर्देश एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है। समिति ने सरकारी सेवकों के डिजिटल आचरण को नियंत्रित करने और सरकार की छवि को सुरक्षित रखने के लिए इन नियमों को जरूरी बताया था।

स्थानीय प्रतिक्रिया
कर्मचारी संघों ने इन दिशा-निर्देशों को “सरकारी नौकरियों की स्वतंत्रता पर हमला” बताया है, जबकि प्रशासन का कहना है कि यह जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नियम सिर्फ व्यावसायिक आचरण को नियंत्रित करते हैं, न कि व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को।

इस गाइडलाइन के साथ, झारखंड देश के उन राज्यों में शामिल हो गया है जहां सरकारी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया उपयोग को लेकर सख्त नीतियां लागू हैं।

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