गणगौर व्रत: सौभाग्य तृतीया का महत्व और पूजा विधि

Sneha Kumari

Khabarnama desk : गणगौर व्रत को सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महादेव भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को रखने से पति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

वर्ष 2025 में गणगौर व्रत 1 अप्रैल को रखा जाएगा, जबकि तृतीया की शुरुआत 31 मार्च को शाम 4:42 बजे से होगी। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती और पार्वती ने महिलाओं को सौभाग्यवती का वरदान दिया था।

गणगौर व्रत के दिन सुहागिनें पहले मिट्टी की गौरी की स्थापना करती हैं, जिसे रेणुका कहा जाता है, और फिर उनका पूजन विधिपूर्वक करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए होता है, ताकि वे अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-शांति के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

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