Khabarnama desk : झारखंड के सदर अस्पताल के सर्जन डॉक्टर अजीत के पिताजी के इलाज के नाम पर एक विवाद उत्पन्न हो गया है। खबरों के अनुसार, जब डॉक्टर अजीत ऑपरेशन थियेटर में थे, तो उनके पिताजी की तबीयत अचानक खराब हो गई, जिसके बाद उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल, रामप्यारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, हरिहर सिंह रोड में भर्ती कराया गया।
यहां इलाज की शुरुआत डॉक्टर राजीव रंजन ने की। मरीज के परिजनों ने अस्पताल में यह बताया कि उनके पास CAPF कार्ड है, जिसके आधार पर TPA (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) ने कहा कि इलाज सरकारी दरों पर होगा। इसके बाद अस्पताल में मरीज को दो बोतल पानी चढ़ाया गया और वह पूरी तरह होश में आ गए।
कुछ समय बाद डॉक्टर अजीत भी अस्पताल पहुंचे और उन्होंने बताया कि उनके पिताजी का इलाज मेदांता अस्पताल में कैशलेस तरीके से किया जा सकता है। लेकिन डॉक्टर के समझाने पर मरीज को उसी अस्पताल के ICU में छोड़ दिया गया।
अगले दिन सुबह जब बिल के बारे में पूछा गया, तो अस्पताल ने बताया कि दोपहर में जानकारी दी जाएगी। जब दोपहर में बिल की जानकारी दी गई, तो बताया गया कि कुल 47,000 रुपये का बिल हो चुका है और इसमें और भी खर्च जुड़ सकता है। डॉक्टर अजीत ने सुबह मरीज को देखने के बाद उनके बीपी को स्थिर पाया और अनुरोध किया कि उन्हें छुट्टी दे दी जाए।
यह घटनाक्रम इस बात को लेकर विवादित हो गया है कि इलाज के दौरान बिना पूरी जानकारी के अस्पताल ने इतना बड़ा बिल कैसे बना दिया, और क्या सरकारी कार्ड से इलाज के दौरान यह राशि सही है या नहीं।