Khabarnama desk : डुमरी के विधायक श्री जयराम महतो ने आज विधानसभा में पारा शिक्षकों का मामला उठाया और उनकी लंबे समय से अनदेखी की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि पारा शिक्षक, जिन्हें सहायक शिक्षक के नाम से जाना जाता है, पिछले दो दशकों से झारखंड की शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ बने हुए हैं। इन शिक्षकों ने न केवल स्कूलों में पढ़ाई के कार्यों में अपनी अहम भूमिका निभाई है, बल्कि जनगणना, मतगणना जैसे सरकारी कार्यों में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
विधायक महतो ने कहा कि पारा शिक्षकों ने अपने जीवन के दो दशक अपने युवा सालों और ऊर्जा को राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में लगाए हैं। लेकिन, राज्य की सरकारों के उदासीन रवैये के कारण, ये पारा शिक्षक अब लाचार और बेचारे बनकर रह गए हैं।
उन्होंने वर्तमान सरकार के मंत्री का चुनावी वादा भी याद दिलाया, जिसमें मंत्री ने चुनावों से पहले पारा शिक्षकों के मानदेय में 50 हजार रुपये की बढ़ोतरी का आश्वासन दिया था। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि स्थिति अभी भी वैसी की वैसी बनी हुई है और पारा शिक्षकों को उनके न्याय का अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है।
महतो ने कहा कि राज्य सरकार से लगभग 60 हजार पारा शिक्षकों को अब भी न्याय की उम्मीद है। उन्होंने सरकार से पारा शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि और उनके स्थायीकरण की मांग की। इसके साथ ही, उन्होंने पारा शिक्षकों के आकस्मिक निधन पर उनके परिवारों को दस लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग की।
विधायक ने कहा कि पारा शिक्षकों की स्थिति सुधारने के लिए यह जरूरी है कि राज्य सरकार उन्हें स्थायी रूप से रोजगार प्रदान करे और उनकी मेहनत के अनुसार उचित सम्मान दिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो पारा शिक्षक अपनी आवाज उठाने के लिए मजबूर होंगे।
डुमरी विधायक जयराम महतो ने विधानसभा में पारा शिक्षकों का मुद्दा उठाया, सरकार से की मानदेय बढ़ाने और स्थायीकरण की मांग

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