Khabarnama Desk : भारत निर्वाचन आयोग ने डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबरों की समस्या को तीन महीने के भीतर सुलझाने का निर्णय लिया है। यह कदम मतदाता सूची को अपडेट करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
आयोग का बयान:
आयोग ने बताया कि भारत की मतदाता सूची दुनिया का सबसे बड़ा डेटाबेस है, जिसमें 99 करोड़ से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं। हर साल आयोग मतदाता सूचियों को अपडेट करने के लिए विशेष संशोधन अभ्यास करता है, जो आमतौर पर अक्टूबर से दिसंबर तक चलता है। इसके बाद अंतिम सूची जनवरी में प्रकाशित की जाती है। इस साल की प्रक्रिया के लिए सूची 7 अगस्त, 2024 को जारी की गई थी, और अंतिम सूची 6 से 10 जनवरी 2025 के बीच प्रकाशित की जाएगी।
प्रक्रियाओं का विवरण
- बूथ स्तर अधिकारी (BLO): प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक बूथ स्तर अधिकारी नियुक्त किया जाता है, जो मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया में मदद करता है।
- राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (BLA): राजनीतिक दलों को भी बूथ लेवल एजेंट नियुक्त करने का अधिकार होता है, जो मतदाता सूची की जांच में सहायता करते हैं। इन एजेंटों को सूची को सत्यापित करने और समस्याओं की शिकायत दर्ज करने का अधिकार होता है।
- बूथ लेवल ऑफिसर (BLO): BLO घर-घर जाकर मतदाता जानकारी की जांच करते हैं और फिर इसे निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) को सौंपते हैं।
- सत्यापन और शिकायत प्रक्रिया: सभी प्रक्रियाओं के बाद, ड्राफ्ट मतदाता सूची को वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाता है, जो राजनीतिक दलों और जनता के लिए उपलब्ध होती है। सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अंतिम सूची जारी की जाती है।
- आपत्ति दर्ज करना: यदि किसी को आपत्ति होती है, तो वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत जिला कलेक्टर या कार्यकारी मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकता है।
आयोग का यह कदम भारत की चुनावी प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता लाने और मतदाता पहचान पत्र से संबंधित समस्याओं को जल्दी सुलझाने में सहायक होगा।