Khabarnama Desk : झारखंड के प्रसिद्ध ठेठ नागपुरी गायक महाबीर नायक को 2025 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। उन्हें “भिनसरिया राग का राजा” कहा जाता है, जो उनकी अनोखी गायन शैली को दर्शाता है। महाबीर नायक का जन्म 1942 में रांची जिले के पिठोरिया (गिंजो) गांव में हुआ था। 1962 से उन्होंने नागपुरी गीतों में अपना योगदान देना शुरू किया और 50 वर्षों से अधिक का लंबा सफर तय किया। महाबीर नायक ने न केवल लोक संगीत को जीवित रखा, बल्कि उसे नई दिशा भी दी।
महाबीर नायक को उनके संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें 2014 में उन्हें “लोककला रत्न” अवार्ड भी मिल चुका है। उनके गीतों में झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक मुद्दों की गहरी झलक दिखाई देती है। उन्होंने झारखंड आंदोलन में भी अपनी भूमिका निभाई और लोकगीतों के माध्यम से जागरूकता फैलाने का कार्य किया। उनकी गायन शैली प्रगतिशील और विशिष्ट रही है, जिसने नागपुरी संगीत को नई पहचान दिलाई। इसके अलावा, वे झारखंड और विदेशों में भी कई मंचीय कार्यक्रम कर चुके हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ी।
महाबीर नायक ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान उनकी मेहनत का परिणाम है और यह उन्हें और अधिक प्रेरित करेगा। उन्होंने अपने पिता से प्रेरणा ली, जो एक झूमर कलाकार थे, और कभी अपने जुनून को नहीं छोड़ा। महाबीर नायक ने यह भी कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी को बॉलीवुड और डीजे गानों से हटकर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की ओर ध्यान देना चाहिए। उनका मानना है कि स्थानीय संगीत बैठकों के आयोजन से इस सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सकता है। महाबीर नायक का योगदान न केवल संगीत बल्कि झारखंड की संस्कृति और पहचान को भी समृद्ध करता है।