Khabarnama desk : आज कल बच्चों का जीवन कई तरह के खतरों से भरा हुआ है, जिसमें बाल तस्करी, बाल विवाह और अफीम की तस्करी प्रमुख हैं। झारखंड में इन समस्याओं का बढ़ता हुआ प्रभाव देखने को मिल रहा है। खासकर गांव-गांव में कुछ दलाल बच्चों को इन अवैध गतिविधियों में शामिल करने के लिए सक्रिय हैं। बाल तस्करी के बाद अफीम की तस्करी का भी बड़ा कारोबार राज्य में फैल रहा है। अफीम की खेती करने के लिए किसान अपनी जमीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे दूसरी फसलों का उत्पादन नहीं हो पाता है और जमीन बंजर बन जाती है। अफीम की तस्करी से जो पैसे मिलते हैं, उनसे लोग बाइक खरीदकर नशा करते हैं और सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं, जिनमें कई जानें जा रही हैं।
इसके अलावा, बच्चों से अफीम की तस्करी और खेती करवाई जा रही है। वहीं, पंजाब और हरियाणा से लोग झारखंड के गांवों में आकर दलालों के सहयोग से बाल विवाह कराते हैं और लड़कियों को ले जाकर इन राज्यों में बेचते हैं। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए चाइल्ड राइट फाउंडेशन रांची के सचिव बैद्यनाथ कुमार ने राजधानी रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में बस चालकों, कंडक्टरों और स्थानीय लोगों को मानव तस्करी, अफीम तस्करी और बाल विवाह के खिलाफ जागरूक किया गया। साथ ही, सभी लोगों को शपथ दिलाई गई कि वे मिलकर इन समस्याओं को रोकने के लिए काम करेंगे। बैद्यनाथ कुमार ने बताया कि झारखंड में मंईयां योजना के लागू होने से लड़कियों की तस्करी में कमी आएगी और वे महानगरों में काम करने के लिए नहीं जाएंगी।
इस जागरूकता कार्यक्रम में चाइल्ड राइट फाउंडेशन के अन्य सदस्य, पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग भी शामिल हुए।