RBI ने RTGS और NEFT में लाभार्थी नाम वेरीफिकेशन सुविधा शुरू

Sneha Kumari

Khabarnama Desk : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंकों में RTGS (रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) और NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर) जैसे सिस्टम में एक नई सुविधा शुरू की है। अब, इन सिस्टम्स के माध्यम से पैसे भेजते वक्त लाभार्थी के अकाउंट का नाम वेरीफाई किया जा सकेगा, जिससे गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर होने की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

पहले RTGS और NEFT के माध्यम से पैसे भेजते समय केवल अकाउंट नंबर और IFSC कोड के आधार पर ट्रांजेक्शन किया जाता था, और इस कारण अक्सर गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर होने का डर रहता था। अब, RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे 1 अप्रैल 2025 तक इस नई सुविधा को लागू करें। इस नए फीचर के जरिए ग्राहक अपने ट्रांजेक्शन को सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से पूरा कर सकेंगे।

कैसे काम करेगा यह नया फीचर?

जब आप किसी को पैसे ट्रांसफर करेंगे, तो आपको प्राप्तकर्ता का अकाउंट नंबर और IFSC कोड डालना होगा। इसके बाद सिस्टम आपको लाभार्थी का नाम डिस्पले करेगा, और आप यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि नाम सही है या नहीं, इससे पहले कि आप ट्रांजेक्शन पूरा करें। यह सुविधा इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल ऐप और बैंक शाखाओं में व्यक्तिगत लेनदेन के लिए उपलब्ध होगी।

यह सुविधा ग्राहकों के लिए पूरी तरह से फ्री होगी, और बैंक इसे लागू करते समय डेटा प्राइवेसी कानूनों का पालन करेंगे।

UPI में पहले से है यह सुविधा

यह सुविधा पहले से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IPS) में उपलब्ध है, जहां लाभार्थी का नाम पहले से वेरीफाई किया जाता है। अब यह सुविधा RTGS और NEFT में भी उपलब्ध होगी, जिससे डिजिटल लेनदेन और अधिक सुरक्षित हो जाएगा।

RTGS और NEFT क्या हैं?

RTGS एक सिस्टम है जो बड़े और तेज़ लेनदेन के लिए उपयोग होता है। इसके जरिए एक ग्राहक दो लाख रुपये या उससे अधिक की राशि चंद सेकंड में ट्रांसफर कर सकता है। वहीं, NEFT छोटे और मध्यम साइज के लेनदेन के लिए उपयुक्त होता है, और इसमें कोई न्यूनतम राशि की सीमा नहीं होती। NEFT बैच-प्रोसेसिंग के आधार पर काम करता है।

इस नई सुविधा के लागू होने से बैंकों में डिजिटल ट्रांजेक्शन अधिक सुरक्षित होंगे और धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी।

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