सिक्किम के सीएम होने के पहले तामंग एक शिक्षक थे और अपनी सादगी को अब तक उन्होंने नहीं छोड़ा है. सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री गोले के साथी नेताओं ने उनसे शपथग्रहण के दिन सूट पहनने को कहा था लेकिन गोले ने उनसे कहा कि ‘जो कपड़े पहनकर मैं हमेशा रहता हूं, लोगों से मिलता हूं वही कपड़े पहनकर मैं शपथ लूंगा, लोग जैसे मुझे जानते हैं वैसे ही उनके सामने रहूंगा…’
2013 में गोले ने सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) का गठन किया और 2019 में उनकी पार्टी सत्ता की सीढ़ियां चढ़ गई. 2024 में उनकी पार्टी को सिक्किम की 32 में से 31 सीटों पर जीत मिली जबकि एक सीट पर विपक्षी पार्टी एसडीएफ के प्रत्याशी की जीत हुई.
एसकेएम के पहले सत्ता में रहे एसडीएफ को जहां एक ही सीट मिली, वहीं राज्य में कांग्रेस और भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका है. एसडीएफ के मुख्यमंत्री रहे पवन कुमार चामलिंग ने तो दो सीटों से चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों ही सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 2019 के चुनाव के बाद एसकेएम का भाजपा के साथ गठबंधन हुआ था, लेकिन इस बार भाजपा ने सिक्किम में अकेले चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया था.
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामंग गोले ने न्यूज़ 18 इंडिया से खास बातचीत में बताया कि चुनाव के रुझान आने के दौरान ही उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से बात की और कहा कि वे एनडीए का हिस्सा हैं और बिना शर्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन करते हैं. उन्होंने गृह मंत्री से कहा कि सिक्किम के एक मात्र सांसद को वे दिल्ली भेज रहे हैं एनडीए का समर्थन करने के लिए.
पीएम के शपथग्रहण के लिए टाला अपना शपथग्रहण
प्रधानमंत्री से प्रभावित मुख्यमंत्री गोले ने प्रधानमंत्री के शपथग्रहण के लिए अपने शपथग्रहण का कार्यक्रम टाल दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश को सही दिशा में ले जा रहे हैं इसलिए पूरे देश को उनका साथ देना चाहिए. गोले ने कहा कि वे मोदी के तीसरे बार प्रधानमंत्री पद के शपथग्रहण समारोह का हिस्सा बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपने शपथग्रहण समारोह को एक दिन टाल दिया.
शिक्षक कैसे बना सीएम?
गोले ने दार्जिलिंग से पढ़ाई पूरी की और सिक्किम में शिक्षक बन गए, जिसके पाद राजनीति में रुचि के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी से उनकी नज़दीकियां बढ़ीं और उनके कहने पर वे 1994 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत गए. पहले ही टर्म में वे राज्य में मंत्री बन गए. उसके बाद उनकी पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए हर बार उन्हें अलग-अलग विधानसभाओं ने चुनाव लड़ाया जहां पर हर बार वे बड़े मार्जिन से जीतते रहे और लगातार राज्य सरकार में मंत्री के तौर पर अहम भूमिका निभाते रहे.
सन 2009 में उनकी दूरी तत्कालीन मुख्यमंत्री चामलिंग से हुई, जिसके बाद उन्होंने चामलिंग से फासला बना लिया. साथ ही कुछ समय के लिए एक्टिव राजनीति से भी दूरी बना ली और लोगों के लिए काम किया. उसके बाद 2013 में अपनी पार्टी एसकेएम का गठन किया. 2014 में उनके दल ने 32 में से 10 सीटें जीतीं और मुख्य विपक्षी दल बन गए. 2019 में वे सत्ता की सीढ़ी चढ़कर मुख्यमंत्री बने.
मंत्री रहते नहीं बनाया घर
न्यूज18 से बात करते हुए गोले ने बताया कि उन्होंने प्रण लिया था कि वे जब तक राज्य सरकार में मंत्री रहेंगे तब तक घर नहीं बनाएंगे. इस क्रम में उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री चामलिंग से कहा कि अब वे आगे चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं और राजनीति से दूर होकर लोगों के लिए काम करना चाहते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री चामलिंग से कहा कि वे अब अपना घर बनाना चाहते हैं जो वे मंत्री रहते नहीं बना सकते हैं. और चामलिंग से दूरियां बनाने के बाद मंत्री पद छोड़ने के बाद ही उन्होंने अपना घर बनाया.
क्या है आगे का रूट मैप?
मुख्यमंत्री गोले ने कहा कि उनके दल की पहली जीत ‘विश्वास’ की थी और दूसरी जीत ‘विकास’ की जीत है. उनकी प्राथमिकता अब बिपासा यानी बिजली, पानी, सड़क और रोजगार हैं. उन्होंने राज्य में महिलाओं के लिए कई ख़ास स्कीम चलायी है जिसमें आमा, वात्सल्य योजनाएं महत्वपूर्ण हैं. आमा योजना ग़ैर कामकाजी महिलाओं को बचत प्रदान करने के लिए है जिसमें उन्हें सालाना 40,000 रुपये दिए जाते हैं.
बच्चे के जन्म पर पेड़ लगाने वालों को पुरस्कार
मुख्यमंत्री गोले ने बताया कि राज्य में बच्चे के जन्म पर 108 पेड़ लगाने वालों को सरकार 10080 रुपये पुरस्कार देती है. साथ ही मुख्यमंत्री ने ये भी घोषणा की है कि राज्य के हाईवे को पेड़ों से सजाया जाएगा और जिस सड़क को पेड़ों से सबसे सुन्दर तरीके से सजाया जायेगा वहां के हर मज़दूर को 50 हज़ार की राशी दी जायेगी.
Tags: Sikkim News
FIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 11:39 IST